जानिए आज के लेख में जय भीम मूवी के बारे में और रिटायर्ड जस्टिस चंद्रु जी के बारे में एडवोकेट अंकिता रा जयसवाल, सेशन कोर्ट अमरावती, नागपुर हाई कोर्ट जी के साथ .…..
वकीलों और जजों के सामाजिक कार्यों और उनकी सफलता की कहानियों पर बहुत कम बात की जाती है. शायद इसलिए ही जस्टिस चंद्रू के बारे में काफी लोग अभी तक अनजान थे. पूर्व जस्टिस चंद्रू न्यायपालिका से हटकर भी अपनी एक अलग पहचान रखते हैं. जब वकील थे तब भी और अब जब वो रिटायर हो चुके हैं, तब भी वह अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं. सामाजिक मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाने और अन्याय के खिलाफ लड़ाई का उनका एक लंबा ट्रैक रहा है. उन्हें अभी भी न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में माना जाता है.
दोस्तों आपको किसी भी तरह की कोई क्यूरी हो कोई प्रश्न हो तो आप मुझे मेरे फेसबुक पेज लीगल अवेयरनेस टॉप बाय एडवोकेट अंकिता आर जयसवाल को लाइक और फॉलो करके मैसेजेस में अपने सवाल पूछ सकते हैं, साथ ही आपको सोशल और लीगल अपडेट के लिए nyaykagyan.blogspot.com पर जुड़े रहे।
ये सच है कि सिनेमा सामूहिक मनोरंजन का सबसे सशक्त माध्यम है, लेकिन कोरोना संक्रमण काल ने ये भी सिखाया कि सिनेमा की सबसे सशक्त पहुंच का माध्यम एक ही है और वह है ओटीटी। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के तमाम इलाकों में अब भी मुसहर जाति रहती है। चूहे पकड़कर खाना उनकी मजबूरी है। दक्षिण भारत में रहने वाली ऐसी ही एक जाति के लोगों की कहानी कहती है फिल्म ‘जय भीम’। अपने नाम से ये फिल्म एक एजेंडा फिल्म भले लगती हो लेकिन एजेंडा अगर सच्चाई को दुनिया के सामने लाना हो तो ऐसा हर एजेंडा स्वागत योग्य होना ही चाहिए। वामपंथी विचारधारा से प्रभावित एक वकील इरुलर जाति के आदिवासियों के पुलिस उत्पीड़न का मामला अपने हाथ में लेता है और उसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के सहारे अंजाम तक पहुंचाता है। फिल्म ‘जय भीम’ मद्रास हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस चंद्रा के उस चर्चित मामले पर आधारित है जो उन्होंने अपनी वकालत के दिनों में लड़ा। हालांकि, असल में ये मामला कुरवा जनजाति के लोगों के उत्पीड़न का था।
पूर्व जस्टिस चंद्रू (Former Justice K. Chandru) जी ने आदिवासी समुदाय के लिए न्याय के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है. सूर्या की फिल्म 'जय भीम' में उन्हीं के साल 1995 के असली केस की कहानी को दर्शाया गया है.
मद्रास हाई कोर्ट में न्यायाधीश रहे जस्टिस के चंद्रु जी जब वकील थे तब उन्होंने अनुसूचित जन जाति के लोगों के मूलभूत अधिकारों को लेकर अनेक मामले लड़े और कई ऐसे लोगों तक न्याय पहुँचाया जिन तक सूरज की किरणें भी नहीं पहुँचती….राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति नियुक्त किया था।
चंद्रू साहब ने एक न्यायाधीश के रूप में अपने छः वर्षों के कार्यकाल के दौरान अविश्वसनीय रूप से 96,000 मामलों का निपटारा किया।
हाल ही में मैंने तमिल फ़िल्म देखी जय भीम जो 1993 में मद्रास उच्च न्यायालय में की गई चंद्रू जी की कानूनी लड़ाई से जुड़ी सच्ची घटनाओं पर आधारित है….
कहानी का नायक एक ऐसे सिस्टम के खिलाफ जंग छेड़ता है जहां इन आदिवासियों के वोटर कार्ड तक बन पाना दूभर है। मामला परत दर परत खुलना शुरू होता है तो थाने से लेकर पुलिस महानिदेशक तक सबकी कुर्सी हिलने लगती है। पीड़ित को खरीदने की कोशिश होती है। वकील पर दबाव पड़ता है लेकिन मार्क्स और लेनिन के विचारों को मानने वाला अंबेडकर का ये अनुयायी अपनी लड़ाई जारी रखता है। फिल्म ‘जय भीम’ देश के हालात पर एक राजनीतिक टिप्पणी भी है और सामाजिक विसंगतियों का आईना भी। फिल्म की कहानी बीसवीं सदी के उस दशक की कहानी है जब देश में मंडल कमीशन लागू हो चुका है और तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता का बोलबाला है। लेकिन, फिल्म उस कालखंड की राजनीति में नहीं जाती और अपना फोकस सिर्फ पीड़ितों, पुलिस और न्यायपालिका पर बनाए रखती है।
आपको मूवी देखकर पता चलेगा ही की मूवी में पुलिस और पावर का केसे मिसयूज होताहै और हेबियस कॉर्पस रिट को बहुत अच्छी तरीकेसे बताया गया है साथ ही एडवोकेट की छवि और कानून की जानकारी बहुत अच्छी तरह बताई गई है।
सच में आज तक की जय भीम मूवी ये बहोत ही बेहतरीन बनाई गई है जिसमे एडवोकेट और जस्टिस दोनो के काम और छवि को अच्छे और रियल में दिखाया गया है, मूवी में से ये भी बताया गया है की अंबेडकर जी ने जो संविधान बनाया है वो सच में सभी के हक की रक्षा करता है बस हमे जागरूक रहने की आवश्यकता है,
यह लेख में आप सभी को जागरूकता के लिए लिखती हु यदि आपको पसंद है तो शेयर करे और जय भीम मूवी जरूर देखे जिससे आप सभी अपने हक के प्रति जागरूक रह सके।
Really salute to all avocates like chandruji which work nonstop dedicated to their work, hats off 🙌🙌🙌🙌babita gr noida, uttar pradesh, your work ankita ji👍👍👍👍👍🌹🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंसत्याच्या बाजूने सर्वांनी उभे राहिले तर कायद्याने अश्या वाईट ऋतीच्या लोकांना धडा शिकवता येईल आणि आपल्या सारखे चांगल्या विचारांचे लोक जर समाजात असतील तर नक्कीच कायदा कोणी हातात घेणार नाही...great work Ankita ji 🌺
जवाब देंहटाएं