Advocate Day Special - न्याय का ज्ञान

Legal & Social Awareness

Breaking

Home Top Ad

Legal Awarness Talk by Adv. Ankita R Jaiswal fb page, nyaykagyan.Blogspot.com

Post Top Ad

Responsive Ads Here

कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

Advocate Day Special

Advocate day Special 3 December

Adv. Ankita R.Jaiswal 
Dist& Session Court Warud, Amravati 
अधिवक्ता, बॅरिस्टर, प्लीडर, सॉलिसिटर यही कुछ नाम है इस वर्ग के जिसे साधारणता लोग वकील के नाम से जानते है आज वकील दिवस है, गर्व का विषय है कि मे भी इसी वर्ग का एक हिस्सा हुं.
भारत में, 'अधिवक्ता दिवस' प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है। यह भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद का जन्म दिवस है। उनका जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के एक छोटे से गांव जीरादेई में हुआ था। उनके जन्म की वर्षगाँठ 3 दिसंबर को अधिवक्ता समुदाय द्वारा प्रत्येक वर्ष अधिवक्ता दिवस के रूप में धूम-धाम से मनाया जाता है।
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद स्वयं एक विद्वान अधिवक्ता थे। वह भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। उन्होंने 12 वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात वर्ष 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की। सम्पूर्ण देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
अधिवक्ता, अभिभाषक या वकील (ऐडवोकेट advocate) के अनेक अर्थ हैं, परंतु हिंदी में ऐसे व्यक्ति से है जिसको न्यायालय में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से उसके हेतु या वाद का प्रतिपादन करने का अधिकार प्राप्त हो। अधिवक्ता किसी दूसरे व्यक्ति के स्थान पर (या उसके तरफ से) दलील प्रस्तुत करता है। इसका प्रयोग मुख्यतः कानून के सन्दर्भ में होता है। प्रायः अधिकांश लोगों के पास अपनी बात को प्रभावी ढंग से कहने की क्षमता, ज्ञान, कौशल, या भाषा-शक्ति नहीं होती। अधिवक्ता की जरूरत इसी बात को रेखांकित करती है। अन्य बातों के अलावा अधिवक्ता का कानूनविद् (lawyer) होना चाहिये। कानूनविद् उसको कहते हैं जो कानून का विशेषज्ञ हो या जिसने कानून का व्यावसायिक अध्ययन किया हो।

भारतीय न्यायप्रणाली में ऐसे व्यक्तियों की दो श्रेणियाँ हैं : (१) वरिष्ठ अधिवक्ता (ऐडवोकेट) तथा (२) अधिवक्ता (वकील)। ऐडवोकेट के नामांकन के लिए भारतीय "बार काउंसिल' अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक प्रादेशिक उच्च न्यायालय के अपने-अपने नियम हैं। उच्चतम न्यायालय में नामांकित ऐडवोकेट देश के किसी भी न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन कर सकता है। वकील, उच्चतम या उच्च न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन नहीं कर सकता। ऐडवोकेट जनरल अर्थात्‌ महाधिवक्ता शासकीय पक्ष का प्रतिपादन करने के लिए प्रमुखतम अधिकारी है।
भारत के कानूनी व्यवसाय से संबंधित कानून अधिवक्ता अधिनियम, 1961 और देश की भारतीय विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल) द्वारा निर्धारित नियमों के आधार पर संचालित होता है। कानून के क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों के लिए यह स्वनिर्धारित कानूनी संहिता है जिसके तहत देश और राज्यों की बार काउंसिल का गठन होता है। अधिवक्ता कानून, 1961 के तहत पंजीकृत किसी भी वकील को पूरे भारत में कानूनी व्यवसाय करने का अधिकार है। किसी राज्य की बार काउंसिल में पंजीकृत कोई वकील किसी दूसरे राज्य की बार काउंसिल में अपने नाम के तबादले के लिए निर्धारित नियमों के अनुसार आवेदन कर सकता है। किन्तु कोई भी वकील एक या ज्यादा राज्य की बार काउंसिल में पंजीकृत नहीं हो सकता है। राज्य की बार काउंसिलों के पास अपने यहां पंजीकृत वकीलों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही का अधिकार होता है। इस कार्यवाही के विरुद्ध देश की बार काउंसिल में अपील की जा सकती है और उच्चतम न्यायालय में भी जाने का अधिकार मिला हुआ है। मुझसे कांटेक्ट करने के लिए मेरे फेसबुक पेज लीगल अवेयरनेस टॉक बाय एडवोकेट अंकिता रा जयसवाल को विजिट करें। साथ ही मेरे nyaykagyan.blogspot.com को विजिट करें
इसी लेख के साथ मेरे सभी वकील बंधू को अधिवक्ता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाये!
यह लेख आपको कैसा लगा यह कमेंट द्वारा बताएं धन्यवाद।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages