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बुधवार, 13 जनवरी 2021

सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर बनाई 4 सदस्यों की कमेटी, क्या कमेटी बनाने से सुलझ जाएगा किसानों का मामला ?

सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर बनाई 4 सदस्यों की कमेटी, क्या कमेटी बनाने से सुलझ जाएगा किसानों का मामला ?

जानिए एडवोकेट अंकिता रा जायसवाल 
सिविल & क्रिमिनल कोर्ट वरुड के साथ पूरे लेख में....
दोस्तों जैसे कि आप सभी को पता ही है पिछले डेढ़ महीने से किसान आंदोलन पर बैठे है, अब इसका कोई हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक तीन कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने 4 सदस्यों की एक कमिटी का भी गठन किया है। केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक होंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही 4 सदस्यों की एक कमेटी भी बनाई है, जो इस पूरे विवाद या मसले को सुलझाएगी। ये कमेटी ज्यूडिशियल प्रोसिडिंग का हिस्सा होगी, जो अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई फैसला लेगी।

 सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में भूपिंदर सिंह मान (अध्यक्ष बेकीयू), डॉ प्रमोद कुमार जोशी (अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री) और अनिल घनवट (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) शामिल हैं। जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आती है तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी।

१)भूपिंदर सिंह मानजी

भूपिंदर सिंहमान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। किसान संघर्षों में योगदान को ध्यान में रखते हुए 1990 में राष्ट्रपति की ओर से भूपिंदर सिंह मान को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था।

)प्रमोद कुमार जोशीजी

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी जाने माने कृषि विशेषज्ञ हैं। हाल ही में उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि हमें एमएसपी से परे, नई मूल्य नीति पर विचार करने की आवश्यकता है।

३)अशोक गुलाटी जी

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को भी इस कमिटी का सदस्य नियुक्त किया है। गुलाटी 1991 से 2001 तक प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार काउंसिल के सदस्य रहे हैं। अपने लेखों और रिसर्च पेपर में गुलाटी किसानों के उत्पाद को लेकर आवाज उठाते रहे हैं।

)अनिल घनवट जी (महाराष्ट्र)

शीर्ष अदालत ने शिवकेरी संगठन महाराष्ट्र के अनिल घनवटजी को भी इस कमिटी में शामिल किया है। शेतकारी संगठन के अध्यक्ष धनवट के इस संगठन के साथ लाखों किसान जुड़े हुए हैं। इस संगठन का महाराष्ट्र के किसानों पर बड़ा असर है।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडेजी, न्यायमूर्ति एएस. बोपन्नाजी और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियनजी की पीठ ने कहा कि कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती, उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है। इसके साथ ही न्यायालय ने किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर  जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे। यह राजनीति नहीं है। राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा।

अब तक आठ दौर की बातचीत हो चुकि है। सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बातचीत में भी कोई समाधान नहीं निकल सका। केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया है जबकि किसान नेताओं ने कहना है कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिये तैयार हैं और उनकी घर वापसी सिर्फ कानून वापसी के बाद ही होगी। केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक प्रस्तावित है।
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