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गुरुवार, 3 जून 2021

वैक्सीन क्यों है जरूरी, वैक्सिनेशन किसने करनी चाहिए इन सभी सवालों के जवाब इस आलेख में एडवोकेट अंकिता रा जयसवाल जी के साथ...

वैक्सीन के बारे में सब कुछ: वैक्सिनेशन क्यों जरूरी है? 
वैक्सीन के बारे में  जानिए इस लेख में एडवोकेट अंकिता रा जयसवाल जी  जिला ऐव सत्र न्यायालय अमरावती के साथ ...
दोस्तो आज के आलेख में हम जानेंगे वैक्सीन के बारे में सब कुछ लेकिन जो मेने कई वेबसाइट्स और रिसर्च के हिसाब से बताने जारही हूं उसके लिए मेरे सोशल और लीगल अपडेट के लिए आप सभिको मेरे फेसबुक पेज लीगल अवेयरनेस टॉक बाय एडवोकेट अंकिता रा जयसवाल को लाइक और शेयर करे साथ ही nyaykagyan.blogspot.com पर भी जुड़े रहे।
नोट: आज का लेख उपलब्ध जानकारी हासिल करके लिखा गया है।
✨देश में कोरोना की दूसरी लहर ने कई राज्यों में गंभीर हालात बना दिए है. टीकाकरण अभियान के चौथे चरण में बीती एक अप्रैल से 45 साल की उम्र पार कर चुके हर व्यक्ति को वैक्सीन दी जा रही है. भारत में टीकाकरण के लिए कोवैक्सीन और कोविशील्ड नाम के दो कोरोनारोधी टीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी टीका है और इसे भारत बायोटेक कंपनी ने बनाया है. कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर बनाया है. देश के कई शहरों में यह दोनों ही टीके उपलब्ध हैं, तो कई जगहों पर कोविशील्ड के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
आप वैक्सीनेशन करवा चुके हैं या करवाना है दोनों हालात में आपको जानना जरूर चाहिए कि जो वैक्सीन आप ले रहे है उसकी खासियत क्या है या उसे बना कौन रहा है।
किन्हें दिया जा सकता है टीका?
कोविशील्ड वैक्सीन का टीका 18 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है. लेकिन गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर के परामर्श बिना नहीं दिया जा रहा है.
कोविशील्ड (Covishield), co-vaccine,
१) कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर तैयार किया है और इसके उत्पादन के लिए भारत में इसे पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रही है।ये एक तरह का सौदा है जिसमें प्रति वैक्सीन की आधी कीमत ऑक्सफ़ोर्ड के पास जाती है। कोविशील्ड दुनिया की सबसे लोकप्रिय वैक्सीन में से है क्योंकि कई देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।कोविशील्ड म्यूटेंट स्ट्रेन्स (अर्थात रूप बदले हुए वायरस) के खिलाफ सबसे असरदार और प्रभावी है। कोवीशील्ड एक वायरल वेक्टर टाइप की वैक्सीन है।
२) कोविशील्ड को सिंगल वायरस के जरिए बनाया गया है जो कि चिम्पैंजी में पाए जाने वाले एडेनोवायरस (चिंपैंजी के मल में पाया जाने वाला वायरस) ChAD0x1 से बनी है।
ये वही वायरस है जो चिंपैंजी में होने वाले जुकाम का कारण बनता है लेकिन इस वायरस की जेनेटिक सरंचना COVID के वायरस से मिलती है इसलिए एडेनो-वायरस का उपयोग कर के शरीर मे एंटीबॉडी बनाने को वैक्सीन इम्युनिटी सिस्टम को प्रेरित करती है। कोवीशील्ड को भी WHO ने मंजूरी दी है।  इसकी प्रभाविकता या इफेक्टिवनेस रेट 70 फीसदी है। यह वैक्सीन कोरोना के गंभीर लक्षणों से बचाती है और संक्रमित व्यक्ति जल्दी ठीक होता है। डॉक्टर के हिसाब से ये व्यक्ति को वेन्टिलर पर जाने से भी बचाती है। इसका रख-रखाव रखना बेहद आसान है क्योंकि यह लगभग 2° से 8°C पर कहीं भी ले जाई जा सकती है इसलिए इसकी उपयोग में लाने के बाद बची हुई वैक्सीन की वायल को फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है।
कोवैक्सिन (Covaxin)

⭐कोवैक्सिन को ICMR और भारत बायोटेक ने मिलकर तैयार किया है। इसे वैक्सीन बनाने के सबसे पुराने अर्थात पारंपरिक इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म  पर बनाया गया है। इनएक्टिवेटेड का मतलब है कि इसमें डेड वायरस को शरीर में डाला जाता है, जिससे एंटीबॉडी पैदा होती है और फिर यही एंटीबॉडी वायरस को मारती है। यह वैक्सीन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है क्योंकि वैक्सीन बनाना बेहद फाइन बैलेंस का काम होता है ताकि वायरस शरीर मे एक्टिवेट न हो सके। ये इनक्टिवेटेड वायरस शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को असली वायरस को पहचानने के लिए तैयार करता है और संक्रमण होने पर उससे लड़ता है और उसे खत्म करने की कोशिश करता है।

⭐कोवैक्सीन की प्रभाविकता 78 फीसदी है। 

⭐मेरे रिसर्च के हिसाब से इन सभी वैक्सीन में सिर्फ covaxin अकेली वैक्सीन है जिसे वैक्सीन बनाने के सबसे पुराने तरीके से बनाया गया है इसमें कोरोना वायरस के ही इनक्टिवेटेड वायरस अर्थात मृत-स्वरूप को उपयोग में लाया है और यही एक बड़ा कारण है जोकि covaxin को कोरोना के 671 वैरिएंट (हाल ही में हुए शोध अनुसार) के खिलाफ प्रभावी बनाता है मतलब ये कि चाहे कोरोना वायरस कितना भी म्यूटेशन कर ले (अर्थात रूप बदल लें) covaxin उन सभी पर प्रभावी रहेगी।
⭐स्पुतनिक- V (Sputnik V)

इसे मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है,जिसे भारत में डॉ० रेड्डी लैब द्वारा बनाया जाएगा। इसे भी 2-8°C पर स्टोर किया जा सकता है।स्पुतनिक V भी एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है, लेकिन इसमें और बाकी वैक्सीन में एक बड़ा फर्क यही है कि बाकी वैक्सीन को एक वायरस से बनाया गया है, जबकि इसमें दो वायरस हैं और इसके दोनों डोज अलग-अलग होते हैं। स्पुतनिक V को भारत ही नहीं बल्कि हर जगह अब तक की सबसे प्रभावी वैक्सीन माना गया है। इस पैमाने पर भारत की सबसे इफेक्टिव वैक्सीन है। स्पुतनिक V 91.6 % प्रभावी है। ऐसे में इसे सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीन कहा जा सकता है। यह सर्दी, जुकाम और अन्य श्वसन रोग पैदा करने वाले एडेनोवायरस-26 (Ad26) और एडेनोवायरस-5 ( Ad5) अर्थात 2 अलग अलग प्रकार के वायरस पर आधारित है। यह कोरोना वायरस में पाए जाने वाले कांटेदार प्रोटीन  (Spike प्रोटीन- यही वो प्रोटीन है जो शरीर की कोशिकाओं अर्थात सेल्स में एंट्री लेने में मदद करता है) की नकल करती है, जो शरीर पर सबसे पहले हमला करता है। वैक्सीन शरीर में पहुंचते ही इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है। और शरीर में एंटीबॉडी पैदा हो जाती है। यही एंटीबॉडी शरीर को कोरोना वायरस से बचाती है।
⭐अब बात करते हैं स्पुतनिक की ही सिंगल डोज वाली वैक्सीन अर्थात sputnik Light की,
क्युकी स्पुतनिक वैक्सीन की दोनों डोज में दो अलग अलग वायरस उपयोग होते है तो स्पुतनिक लाइट वैक्सीन असल में स्पुतनिक-V वैक्सीन का पहला डोज ही है। ध्यान रहे कि स्पुतनिक-V में दो अलग-अलग वैक्सीन तीन हफ्ते के अंतराल के बाद दिए जाते हैं। अब इसे बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि स्पुतनिक-V का पहला डोज भी कोरोना संक्रमण से बचाने में कारगर है और इसे ही स्पुतनिक-लाइट के रूप में लांच किया गया है।जिसका इफेक्टिवनेस 79.4% है जोकि अन्य वैक्सीन के दो डोज से भी अधिक है यदि इसकी मंजूरी भारत में मिलती है तो एक डोज में ही अधिक टीकाकरण किया जा सकेगा।जिससे टीकाकरण में तेजी भी लाई जा सकेगी।
⭐परंपरागत वैक्सीन के जरिए हमारे शरीर के रक्तप्रवाह में जीवित या मृत वायरस डाला जाता है। साथ ही इसमें कई पदार्थ होते हैं, जो प्रतिरोधी प्रक्रिया के उत्पादन के लिए जरूरी होते हैं। लेकिन कोविड-19 की नई वैक्सीन में मैसेंजर आरएनए (MRNA) का इस्तेमाल किया गया है, जो एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल है। यह मैसेंजर आरएनए एक आनुवंशिक तंत्र (genetic mechanism) का संकेत देता है, जिससे कोविड एंटीबॉडी उत्पन्न होती है, जो वायरस के निशानों को नष्ट कर देती है। यानी इस प्रक्रिया में वायरस को शरीर में सीधे इंजेक्ट नहीं किया जाता है।
⭐तुलनात्मक अध्ययन सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं क्योंकि अभी तक भारत में स्वीकृत तीनों ही वैक्सीन (कोविशील्ड,कोवाक्सिन और स्पुतनिक) कोविड को गम्भीर होने  से बचाती हैंंं
(वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करके ही ले, वैक्सिन लेना ऑप्शनल है ,कंपलसरी नही, )
आशा करती जिनकी वैक्सीन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचने में सक्षम रही आपको लेख अच्छा लगा तो सबको 
शेयर करते रहें ताकि लोगों तक सही जानकारी पहुँचे🙏 कोई भी सवाल हो तो कॉमेंट्स बॉक्स में बताए। 
बतादे की यह सिर्फ सोशल अवेयरनेस से रिलेटेड है और कई वेबसाइट्स से लिया गया है। भाई अंकित काव्यांश की फेसबुक वॉल से साभार, और vidhik shiksha प्लेटफार्म फेसबुक पेज से ली गई है। रेफरेंस के लिए लिंक भी मेंशन की हुई है, 
#https://www.facebook.com/633475460019090/posts/4378558905510708/?sfnsn=wiwspwa
सेफ रहे सुरक्षित रहे। सरकार के नियमो का पालन करे।
 (लेखक वैद्यकीय फील्ड में तद्य नहीं है, सिर्फ अभ्यासक है)

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