Awarness talk About Diwali - न्याय का ज्ञान

Legal & Social Awareness

Breaking

Home Top Ad

Legal Awarness Talk by Adv. Ankita R Jaiswal fb page, nyaykagyan.Blogspot.com

Post Top Ad

Responsive Ads Here

कुल पेज दृश्य

रविवार, 13 दिसंबर 2020

Awarness talk About Diwali

धनतेरस &दिवाली स्पेशल....


एडवोकेट अंकिता रा जैसवाल दीवानी ऐव फौजदारी न्यायालय वरुड, सत्र न्यायालय अमरावती, जी से जानते है दिवाली और धनतेरस का क्या महहत्त्व है......

नमस्ते दोस्तो, आप सभी को  धनतेरस और दिवाली की मेरीओर से बहुत बहुत शुभकामनाये.

दोस्तो इस लेखन मे आपको धनतेरस व दिवाली का महत्व बताने जा रही हू.

धनतेरस क्यू मनाया जाता है?

कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। यह त्योहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है। इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान धनवन्तरि की पूजा का महत्व है। कहते हैं कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. यह भी मान्यता है कि चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए भगवान धनवंतरि ने अवतार लिया था. भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। यह कहावत आज भी प्रचलित है कि “पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया” इसीलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है| जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है. इसलिये धनतेरस के दिन धन्वंतरी देवी की पूजा की जाती है और धनतेरस मनाया जाता है, भगवान धनवंतरी जी के प्रकट होने के शुभ अवसर पर धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है

धनतेरस का महत्व ?धनतेरस का अर्थ क्या है ?

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन अर्थात दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है. धन का मतलब समृद्धि और तेरस का मतलब तेरहवां दिन होता है| धनतेरस यानी अपने धन को तेरह गुणा बनाने और उसमें वृद्धि करने का द‌िन| कारोबारियों के लिए धनतेरस का खास महत्व होता है क्योंकि धारणा है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा से समृद्धि, खुशियां और सफलता मिलती है| साथ ही सभी के लिए इस पूजा का खास महत्व होता है.

दिवाली का पर्व क्यू मनाया जाता है?

दिवाली का पर्व ना केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली के दिन ना केवल श्रीराम अयोध्या लौटे थे बल्कि इस दिन मां दुर्गा ने काली का रूप लिया था, भगवान महावीर को मोक्ष की  प्राप्ति हुई थी। दिवाली के दिन ही पांडव अपने वनवास और अज्ञातवास से वापस लौटे थे। दिवाली का त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवम्बर माह में आता है। इस दिन पूरे भारत को दुल्हन की तरह सजाया जाता है।

दीपावली, दिवाली या दीवाली शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिन्दू त्यौहार है, दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है जो ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दीपावली दीपों का त्योहार है। आध्यात्मिक रूप से यह 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' को दर्शाता है।

दिवाली त्योहार कहा कहा मनाया जाता है? और किस लिये मनाया जाता है?

दीवाली के दिन नेपाल, भारत,श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश होता है। भारत और नेपाल मे जादा दर दिवाली का त्योहार बहुत जादा फेमस हैं.

दीपावली नेपाल और भारत में सबसे बड़े शॉपिंग सीजन में से एक है; इस दौरान लोग कारें और सोने के गहने आदि महंगी वस्तुएँ तथा स्वयं और अपने परिवारों के लिए कपड़े, उपहार, उपकरण, रसोई के बर्तन आदि खरीदते हैं, लोगों अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों को उपहार स्वरुप आम तौर पर मिठाइयाँ व सूखे मेवे देते हैं। इस दिन बच्चे अपने माता-पिता और बड़ों से अच्छाई और बुराई या प्रकाश और अंधेरे के बीच लड़ाई के बारे में प्राचीन कहानियों, कथाओं, मिथकों के बारे में सुनते हैं। इस दौरान लड़कियाँ और महिलाएँ खरीदारी के लिए जाती हैं और फर्श, दरवाजे के पास और रास्तों पर रंगोली बनाती हैं। युवा और वयस्क आतिशबाजी और प्रकाश व्यवस्था में एक दूसरे की सहायता करते हैं। इस त्योहार मे बडो का आशीर्वाद लेना अच्छा होता हैं, ये त्योहार ही ऐसा है जिस्मे सारे गिले शिकवे मीटा कर नयी जिंदगी की सुरुवात होती है,

दीपावली का क्या महत्व है?

भारत में प्राचीन काल से दीवाली को हिंदू कैलेंडर के कार्तिक माह में गर्मी की फसल के बाद के एक त्योहार के रूप में दर्शाया गया। पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीवाली का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि ये ग्रन्थ पहली सहस्त्राब्दी के दूसरे भाग में किन्हीं केंद्रीय पाठ को विस्तृत कर लिखे गए थे। दीये को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है, सूर्य जो जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा का लौकिक दाता है और जो हिन्दू कैलंडर अनुसार कार्तिक माह में अपनी स्तिथि बदलता है.

हिन्दुओं के योग, वेदान्त, और सांख्य दर्शन में यह विश्वास है कि इस भौतिक शरीर और मन से परे वहां कुछ है जो शुद्ध, अनन्त, और शाश्वत है जिसे आत्मन् या आत्मा कहा गया है। दीवाली, आध्यात्मिक अन्धकार पर आन्तरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई का उत्सव है। 

आशा करती हू की धनतेरस दिवाली की जानकारी देने मे आप सभी को मे सफल रही.

मुजसे कॉन्टॅक्ट करणे के लिये फेसबुक पेज Legal Awarness Talk by Adv. Ankita R. Jaiswal पेज को विजिट करें। साथ ही लेख केसा लगा कॉमेंट्स के ज़रिए बताए।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages