साइबर अपराध, साइबर अपराध का वर्गीकरण , साइबर अपराध की श्रेणियाँ , सोशल मीडिया की भूमिका. - न्याय का ज्ञान

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रविवार, 21 मार्च 2021

साइबर अपराध, साइबर अपराध का वर्गीकरण , साइबर अपराध की श्रेणियाँ , सोशल मीडिया की भूमिका.

साइबर अपराध, साइबर अपराध का वर्गीकरण , साइबर अपराध की श्रेणियाँ , सोशल मीडिया की भूमिका जानिए एडवोकेट अंकिता रा जयसवाल जी के साथ....
Adv. Ankita R. Jaiswal,@©️®️
Civil & Criminal Court Warud. Dist. Amravati.

दोस्तों आज हम जानेंगे सायबर अपराध और वर्गीकरण और उसकी श्रेनिया क्या है? साथ ही सायबर अपराध से जूडे काननो को भी इस लेख मे आपको जानकारी दूंगी इसलिए लेख पूरा पड़े.

“साइबर अपराध में जबरन वसूली, पहचान की चोरी, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, कंप्यूटर से व्यक्तिगत डेटा हैक करना, फ़िशिंग, अवैध डाउनलोडिंग, साइबर स्टॉकिंग, वायरस प्रसार, सहित कई प्रकार की गतिविधियाँ शामिल हैं। ग़ौरतलब है कि सॉफ्टवेयर चोरी भी साइबर अपराध का ही एक रूप है, जिसमें यह जरूरी नहीं है कि साइबर अपराधी, ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही अपराध करे”.

हम जितनी तेज़ी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, ठीक उतनी ही तेज़ी से साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। जिस गति से टेक्नोलॉजी ने उन्नति की है, उसी गति से मनुष्य की इंटरनेट पर निर्भरता भी बढ़ी है। एक ही जगह पर बैठकर इंटरनेट के ज़रिये मनुष्य की पहुँच, विश्व के हर कोने तक आसान हुई है। आज के समय में हर वो चीज़ जिसके विषय में इंसान सोच सकता है, उस तक उसकी पहुँच इंटरनेट के माध्यम से हो सकती है, जैसे कि सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर करना, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब इत्यादि। आज के समय में इंटरनेट का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है। इंटरनेट के विकास और इसके संबंधित लाभों के साथ साइबर अपराधों की अवधारणा भी विकसित हुई है। वर्तमान में भारत की बड़ी आबादी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग करती है। भारत में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के उपयोग के प्रति लोगों में जानकारी का अभाव है। इसके साथ ही अधिकतर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सर्वर विदेश में हैं, जिससे भारत में साइबर अपराध घटित होने की स्थिति में इनकी जड़ तक पहुँच पाना कठिन होता है।
साइबर अपराध का वर्गीकरण

साइबर अपराध  को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
वे अपराध जिनमें कंप्यूटर पर हमला किया जाता है। इस तरह के अपराधों के उदाहरण हैकिंग, वायरस हमले आदि हैं।
वे अपराध जिनमे कंप्यूटर को एक हथियार के रूप में उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के अपराधों में साइबर आतंकवाद, आईपीआर उल्लंघन, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, पोर्नोग्राफी आदि।
साइबर अपराध की श्रेणियाँ
साइबर अपराध के अंतर्गत 3 प्रमुख श्रेणियाँ आती हैं जिसमें व्यक्ति विशेष, संपत्ति और सरकार के विरुद्ध अपराध शामिल हैं।
व्यक्ति विशेष के विरुद्ध साइबर अपराध- ऐसे अपराध, यद्यपि ऑनलाइन होते हैं, परंतु वे वास्तविक लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ अपराधों में साइबर उत्पीड़न और साइबर स्टॉकिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी का वितरण, विभिन्न प्रकार के स्पूफिंग, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, मानव तस्करी, पहचान की चोरी और ऑनलाइन बदनाम किया जाना शामिल हैं। साइबर अपराध की इस श्रेणी में किसी व्यक्ति या समूह के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण या अवैध जानकारी को ऑनलाइन लीक कर दिया जाता है।
संपत्ति विशेष के विरुद्ध साइबर अपराध- कुछ ऑनलाइन अपराध संपत्ति के खिलाफ होते हैं, जैसे कि कंप्यूटर या सर्वर के खिलाफ या उसे ज़रिया बनाकर किये जाते हैं। इन अपराधों में हैकिंग, वायरस ट्रांसमिशन, साइबर और टाइपो स्क्वाटिंग, कॉपीराइट उल्लंघन, आईपीआर उल्लंघन आदि शामिल हैं। उदाहरण- कोई आपको एक वेब-लिंक भेजे, जिस पर क्लिक करने के पश्चात एक वेब पेज खुले जहाँ आपसे आपके बैंक खाते/गोपनीय दस्तावेज़ संबंधित सारी जानकारी मांगी जाए और ऐसा कहा जाए कि यह जानकारी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया या सरकार की ओर से मांगी जा रही है, आप वहाँ सारी जानकारी दे दें और फिर उस जानकारी के इस्तेमाल से आपके दस्तावेज़ एवं बैंक खाते के साथ छेड़छाड़ की जाए, तो यह संपत्ति के विरूद्ध साइबर हमला कहा जायेगा।
सरकार विशेष के विरुद्ध साइबर अपराध: यह सबसे गंभीर साइबर अपराध माना जाता है। सरकार के खिलाफ किये गए ऐसे अपराध को साइबर आतंकवाद के रूप में भी जाना जाता है। सरकारी साइबर अपराध में सरकारी वेबसाइट या सैन्य वेबसाइट को हैक किया जाना शामिल हैं। ग़ौरतलब है कि जब सरकार के खिलाफ एक साइबर अपराध किया जाता है, तो इसे उस राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला और युद्ध की कार्रवाई माना जाता है। ये अपराधी आमतौर पर आतंकवादी या अन्य शत्रु देशों की सरकारें होती हैं। इस प्रकार के साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिये प्रत्येक देश की सरकार द्वारा कठोर साइबर कानून बनाए गए हैं।
सोशल मीडिया की भूमिका
बड़े पैमाने पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग करने वाली जनसंख्या साइबर अपराध के खतरों से अनजान है। विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सर्वर अन्य देशों में केंद्रित हैं, जिससे यह डर रहता है कि कहीं ये देश लोगों की व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग भी करते हैं।
विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर लोग अपनी व्यक्तिगत जानकारियाँ share करते हैं, जिससे हैकर्स इन सोशल नेटवर्किंग एकाउंट्स को आसानी से हैक कर लेते हैं और फिर प्राप्त सूचना का दुरुपयोग करते हैं। लोगों को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हैकर्स ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाते हैं।साइबर अपराधी विभिन्न ऑनलाइन गेम्स के माध्यम से बच्चों को अपराध करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।
साइबर अपराधों से निपटने की दिशा में सरकार के प्रयास
भारत में information technology act, 2000’ information technology act 2008, पारित किया गया जिसके प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता के प्रावधान सम्मिलित रूप से साइबर अपराधों से निपटने के लिये पर्याप्त हैं।
इसके अंतर्गत 2 वर्ष से लेकर उम्रकैद तथा दंड अथवा जु़र्माने का भी प्रावधान है।
अंतर-एजेंसी समन्वय के लिये ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (Indian Cyber Crime Co-ordination Centre की स्थापना की गई है। 
भारत इंटरनेट का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और हाल के वर्षों में साइबर अपराध कई गुना बढ़ गए हैं। करुणा काल में साइबर क्रिमिनल्स में काफी साइबर अटैक्स ऑनलाइन डाटा चोरी करने की कोशिश की है, कोरोना काल में साइबर क्राइम्स काफी हद तक बढ़ चुके हैं जिसके लिए हमें जागरूक रहने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। डिजिटल भारत कार्यक्रम की सफलता काफी हद तक साइबर सुरक्षा पर निर्भर करेगी अतः भारत को इस क्षेत्र में तीव्र गति से कार्य करना होगा। वहीँ सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को नया आयाम दिया है, आज प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी डर के सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार रख सकता है और उसे हज़ारों लोगों तक पहुँचा सकता है, परंतु सोशल मीडिया का सावधानीपूर्वक उपयोग ही हमें ऑनलाइन ठगी तथा साइबर अपराध के गंभीर खतरों से बचा सकता है।
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